सियासत | 3-मिनट में पढ़ें
ऐन चुनावों के वक़्त बिना साथी के कैसे जिएगा हाथी !
BSP सुप्रीमो मायावती बार-बार कह रही हैं कि उसकी पार्टी किसी भी गठबंधन में नहीं शामिल होंगी. जिस शिद्दत से भाजपा से लड़ने के लिए बड़े-बड़े विपक्षी दल एकजुटता हो रहे हैं और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जता रहे हैं कि भाजपा से अकेले लड़ना किसी एक अकेले के बस में नहीं है.
सियासत | 7-मिनट में पढ़ें
'भाईजान' ओवैसी के लिए बिहार के सीमांचल दौरे के मायने क्या हैं?
एआईएमआई एम चीफ असदुद्दीन ओवैसी बिहार के सीमांचल के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं, लेकिन भाईजान नाम से मशहूर ओवैसी ने सीमांचल को ही लोकसभा चुनाव 2024 और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चुनावी आगाज के लिए क्यों चुना? आइए इस दौरे के मायने समझते हैं.
सियासत | 2-मिनट में पढ़ें
सियासत | बड़ा आर्टिकल
कुढ़नी का रिजल्ट बता रहा है कि बीजेपी के खिलाफ नीतीश का बंदोबस्त कमजोर है
चुनाव नतीजे आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बिहार के उपचुनाव के नतीजे का भी खास तौर पर जिक्र किया - कुढ़नी उपचुनाव (Kurhani Bypoll) में जेडीयू की हार बता रहा है कि बीजेपी के खिलाफ नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की तैयारी बहुत मजबूत तो नहीं है.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
नरोदा में दंगाई की बेटी को मिले टिकट पर हैरत कैसी? साध्वी प्रज्ञा तो चुनाव जीत चुकी हैं!
गुजरात विधानसभा चुनावों के तहत भाजपा ने मनोज कुकरानी नाम के व्यक्ति की बेटी पायल कुकरानी को टिकट दिया है. मनोज नरोदा पाटिया दंगे के दोषी हैं. दिलचस्प ये कि बीमारी के नाम पर पैरोल पर बाहर आए मनोज घर घर जाकर बेटी के लिए वोट मांग रहे हैं.
सियासत | बड़ा आर्टिकल
गुजरात में ओवैसी का रोल वैसा ही होगा, जैसी भूमिका यूपी चुनाव में मायावती की रही
ओपिनियन पोल में भले ही गुजरात के मुस्लिम वोटर पर असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) का कोई प्रभाव न नजर आये, लेकिन विधानसभा चुनावों (Gujarat Election 2022) में उनकी भूमिका यूपी चुनाव 2022 में मायावती (Mayawati) जैसी ही देखने को मिल सकती है - गोपालगंज उपचुनाव लेटेस्ट मिसाल है.
सियासत | 2-मिनट में पढ़ें
मामला जब 'अल्लाह' के हुक्म का ही है तो हिजाब पर पसंद-नापसंद, अदालती नौटंकियों का कोई तुक है क्या?
खुद को मुस्लिम राजनीति का रहनुमा कहने वाले एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) कह देते हैं कि 'कर्नाटक की बच्चियां इसलिए हिजाब (Hijab) पहन रही हैं, क्योंकि कुरान में अल्लाह ने उन्हें कहा है. वैसे, इस्लाम में जब अल्लाह का हुक्म हो, तो वहां पसंद (Choice) और नापसंद का सवाल ही नहीं रह जाता है. तो, बात हिजाब की हो या किसी और की. वो अपने आप ही बाध्यता बन जाता है.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
SC के जस्टिस हेमंत गुप्ता-जस्टिस सुधांशु धूलिया हिजाब बहस के दो सिरे बन गए!
हिजाब मामले पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया के अलग अलग मत थे इसलिए अंतिम फैसला अब तीन जजों की बेंच सुनाएगी. इतना तो तय है कि जैसे जैसे दिन आगे बढ़ेंगे, हिजाब मामले पर सियासत तेज होगी. यानी फैसले को बड़ी बेंच को सौंपकर कोर्ट ने इस पूरे मामले को नया विस्तार दे दिया है.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें





